सत्संग एक ऐसी पाठ शाला है जंहा पर मानव को महा मानव बनाया जाता है : रामजीवन दास शास्त्री

स्वतंत्र समाचार। महासमुंद

ग्राम टुरीझर में सद्गुरू कबीर सत्संग समिति के तत्वावधान में तीन दिवसीय कबीर सत्संग समारोह का आयोजन 16 से 18 फरवरी तक किया जा रहा है। इस अवसर पर रामजीवन दास शास्त्री साहेब किरवई वाले जनमानस तक कबीर साहेब के संदेश को पहुंचा रहे है। प्रथम दिवस पर साहेब जी ने अध्यात्मिक जीवन बनाने के लिए जीवन में सत्संग की आवश्यकता के बारे में बताया।

सत्संग समारोह के प्रथम दिवस पर कार्यक्रम के सभापति रामजीवन शास्त्री साहेब जी ने कहा की जैसे पक्षी को आकाश में उड़ने के लिए दोनों पंखो की आवश्यकता होती है वैसे ही जीवन को सम्यक रूपेण जीने के लिए व्यवहार के साथ साथ आध्यात्म भी हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। आध्यात्मिक जीवन बनाने के लिए सत्संग अति आवश्यक है, सत्संग से ही हमारे अंदर विवेक दृष्टि आती है खरे खोटे की पहचान होती है। जीवन को जीने की कला सत्संग से ही आती है, सत्संग एक ऐसी पाठ शाला है जंहा पर मानव को महा मानव बनाया जाता है। मूढ़, पामर, अज्ञानी भी सत्संग के प्रभाव से जीवन को उत्कृष्ट बना सकता है। उन्होंने बताया कि सृष्टि के आदिकाल से ही मानव आत्म सुख शांति की खोज में लगा हुआ है। इस अन्वेषण में दो धाराएं संलग्न हैं एक आध्यात्मिक तो दूसरी विज्ञानवाद। दूसरी धारा भौतिकवाद ने बड़ी तीव्र गति से सारी दुनिया का ध्यान आकर्षित कर लिया है अर्थात मन को मोह लिया है परंतु निष्पक्ष दृष्टि से समीक्षा की जाए तो विज्ञान ने हमें जो भी दिया है वह साधन रूप है अनित्य है। विज्ञान जीवन जीने का साधन मात्र है साध्य नहीं विज्ञान दृश्य हो सकता है दृष्ट नहीं, विज्ञान सुविधा दे सकता है पर शांति नहीं, विज्ञान अनेक आविष्कार दे सकता है पर आत्म दृष्टि अमरता नहीं, विज्ञान यदि मानव को सुविधा दे सकता है तो विज्ञान विनाश का के लिए भी है। इस अवसर पर डॉ. मंगल साहू, पंचराम, जुगलकिशोर, ओमकुमार, पुनीतराम, रुपेश कुमार, जितेन्द्र, डॉ हरीश साहू, भागवत दीवान, कामता प्रसाद, एवं समस्त कबीर सैनिक संघ मौजूद थे।

संत कबीर के वचन को जीवन में उतारने वाला प्राणी मोक्ष को प्राप्त करता है
उन्होंने कहा कि कबीर साहेब ने लोकधर्म को स्थापित किया। उनकी रचना हमारी धरोहर है। वे जीवनभर समाज सुधार और मानव कल्याण में लगे रहे। कबीर का दर्शन सम्पूर्ण जीवन की सच्चाई की व्याख्या करता है। उन्होंने कहा कि संत कबीर के वचन को अगर कोई जीवन में उतार ले तो वह प्राणी मोक्ष को अवश्य ही प्राप्त कर लेगा। इस मौके पर साध्वी मायादेवी जी, संत अर्जुन साहेब, शिवदास ब्रह्मचारी, मुकेशदास, कमलदास, हरिराम साहू, भीम पटवारी उपस्थित थे।

संसार मिथ्या है, मुठ्ठी बांधे आए हो और हाथ पसारे जाना है : अभय साहेब
संत अभय साहेब ने कहा कि संसार मिथ्या है। मुठ्ठी बांधे आए हो और हाथ पसार कर चले जाओगे। इस बीच के समय में आंख पर से पर्दा हटाकर नेक कार्य करो। हंस कबीर आश्रम सहवानी में मंगलवार को शुरू हुए तीन दिवसीय सत्संग में बनारस से आए बाबा आचार्य महंत प्रेमस्वरूप साहेब, मंडलेश्वर महंत रघुनंदन गोस्वामी, महंत जयस्वरूप साहेब, महन्त हरिओम शरण गोस्वामी, परम पूज्य वीतराग गुरुदेव महंत भूपनारायण गोस्वामी साहेब ने संत कबीर दास के संदेश को सत्संग के माध्यम से जनमानस तक पहुंचाया।

3 thoughts on “सत्संग एक ऐसी पाठ शाला है जंहा पर मानव को महा मानव बनाया जाता है : रामजीवन दास शास्त्री

  1. सत्संग का आयोजन वास्तव में जीवन को सार्थक बनाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। कबीर साहेब के संदेश को जनमानस तक पहुंचाने का यह प्रयास सराहनीय है। आध्यात्मिक जीवन के बिना जीवन अधूरा है, और सत्संग इसका मार्ग प्रशस्त करता है। क्या हम सचमुच सत्संग के माध्यम से अपने जीवन को उत्कृष्ट बना सकते हैं?

  2. यह सत्संग समारोह वास्तव में जीवन को सार्थक बनाने का एक अद्भुत अवसर है। कबीर साहेब के संदेश को समझना और उन्हें अपने जीवन में उतारना हमें आंतरिक शांति और सच्ची खुशी दे सकता है। सत्संग के माध्यम से हम न केवल अपने विवेक को जागृत कर सकते हैं, बल्कि जीवन के वास्तविक मूल्यों को भी समझ सकते हैं। यह बात सही है कि विज्ञान ने हमें सुविधाएं दी हैं, लेकिन आध्यात्मिकता के बिना जीवन अधूरा है। क्या हम सचमुच सत्संग के प्रभाव से अपने जीवन को बदल सकते हैं? मुझे लगता है कि यह हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है, लेकिन संभव है। क्या आपको नहीं लगता कि आज के समय में सत्संग की आवश्यकता और भी बढ़ गई है?

  3. सत्संग का यह आयोजन वास्तव में प्रेरणादायक है। कबीर साहेब के संदेश को जनमानस तक पहुंचाने का यह प्रयास सराहनीय है। मुझे लगता है कि आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए सत्संग एक आवश्यक माध्यम है। जीवन को सही दिशा देने और विवेकशील बनाने में सत्संग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्या आपको नहीं लगता कि आज के भौतिकवादी युग में सत्संग की आवश्यकता और भी बढ़ गई है? क्या आप इस बात से सहमत हैं कि सत्संग से हमारे अंदर विवेक और सही-गलत की पहचान आती है? मैं यह जानना चाहूंगा कि आपके अनुसार, सत्संग के अलावा और कौन से तरीके हैं जिनसे हम अपने जीवन को उत्कृष्ट बना सकते हैं?

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